राज्य सूचना आयुक्तने सुनाया फैसला जाति अथवा निवास, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र होंगे सार्वजनिक

भोपाल। जाति अथवा निवास एवं आयुक्तने प्रकरण का निराकरण करते हुए समय इसके सत्यापन में दिक्कत होती है। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र किसी परिवार १५ दिन के भीतर अपीलार्थी को मांगी गई इस वजह से उनका अतिरिक्त समय, धन अथवा व्यक्ति की निजी जानकारी नहीं. जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही एवं श्रम का व्यय होता है।सचना के अत- इसे ऑनलाइन (सार्वजनिक) किया कहा है कि उक्त फैसले के बारे में मुख्य अधिकार अधिनियम की धारा जाना चाहिए। इससे फर्जी प्रमाण-पत्र सचिव को भी अवगत कराएं ताकि सभी १९(८)(क)(४) के अंतर्गत प्रमुख सचिव बनने की कार्रवाई पर भी रोक लग विभागों को निर्देशित किया जा सके। अजा-जजा, पिछड़ा वर्ग कल्याण, सकेगी। राज्य सूचना आयुक्त हीरालाल आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया है सामाजिक न्याय विभाग को भी अपनी त्रिवेदी ने अलग-अलग प्रकरणों में कि पारदर्शिता के लिए शासकीय योजना वेबसाइट पर जानकारी ऑनलाइन करने सुनवाई के बाद यह फैसला सुनायाइस का लाभ लेने वाले नागरिकों के जाति, के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा संबंध में अपीलार्थी द्वारा जानकारी मांगने आय, निवास एवं विकलांगता संबंधी आदेश के बारे में मुख्य सचिव मप्र शासन पर लोक सूचना अधिकारी ने यह कहते प्रमाण पत्र की जानकारी संबंधित विभाग को भी अवगत कराने को कहा गया। राज्य हुए इंकार कर दिया था कि जन्म-मृत्यु से की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाए। सूचना आयोग के सामने इस संबंध में संबंधित जानकारी संबंधित परिवार की ऐसा न होने से बार-बार सूचना के जुन्नारदेव के विनोद कुमार शर्मा एवं सहमति के बिना नहीं दी जा सकती। अधिकार के तहत मांगी जाती है। बालाघाट के राजकुमार टेकाम की ओर मामले की सुनवाई के बाद राज्य सूचना शासकीय विभागों को भी नौकरी देते अपील की गई थी।